मंदसौर।मेला सभापति के पति बब्बू पमनानी द्वारा मेले में पत्रकार मुकेश आर्य को कवरेज करने से रोका गया साथ ही उनके साथ अभद्र व्यवहार कर जाति सूचक गालियां दी गई और जान से मारने की धमकी दी
पत्रकारिता की स्वतंत्रता का उल्लंघन है, बल्कि यह जातिवाद और हिंसा के खिलाफ एक गंभीर मामला भी है। पत्रकारों को अपने कार्यों को स्वतंत्र रूप से करने का अधिकार है, और किसी भी तरह की धमकी या अभद्रता को सहन नहीं किया जा सकता।
पत्रकार मुकेश आर्य द्वारा बताया गया कि मेले में त्रिभुजाकार दुकान को व्यापारी द्वारा सामचुकुंद कर लिया । व्यापारी द्वारा दुकान को 6_6 फीट बढ़कर सम चौकोर किया गया जिसको लेकर मुकेश आर्य द्वारा नगर पालिका कर्मचारी और नगर पालिका अध्यक्ष , मेला सभापति को लगातार अवगत कराया गया उनके द्वारा उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई ।यह स्थिति नगर पालिका और प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही को उजागर करती है। अगर पत्रकार मुकेश आर्य ने उचित तरीके से नगर पालिका और अन्य संबंधित अधिकारियों को दुकानदार द्वारा अवैध रूप से दुकान का आकार बढ़ाने की जानकारी दी और फिर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई, तो यह सार्वजनिक प्रशासन की जिम्मेदारी की अनदेखी है।
इस मामले में व्यापारी द्वारा दुकान को बिना अनुमति के बढ़ाना, और नगर पालिका का कोई कदम न उठाना, यह दोनों ही गंभीर मुद्दे हैं। इसके अलावा, जब पत्रकार ने इस मुद्दे को उजागर करने का प्रयास किया और उन पर अभद्र व्यवहार तथा धमकियां दी गईं, तो यह एक और गंभीर उल्लंघन है जो पत्रकारिता की स्वतंत्रता और सार्वजनिक जानकारी के अधिकार का हनन करता है।
इस प्रकार की घटनाओं में संबंधित अधिकारियों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए, और यदि कानून तोड़ा गया है तो कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए। पत्रकार के सुरक्षा और उनके अधिकारों का सम्मान करना सरकार और प्रशासन की प्राथमिक जिम्मेदारी होनी चाहिए।
पत्रकार मुकेश आर्य द्वारा जब इसकी शिकायत जनसुनवाई में जिला कलेक्टर को की गई । जिसको लेकर मेला सभापति के पति बब्बू पमनानी द्वारा पत्रकारों के सहारे को धमकाया गया और शिकायत वापस लेने को कहा गया। शिकायत वापस नहीं लेने पर जान से मारने की धमकी जाति सूचक शब्दो का प्रयोग अभद्र व्यवहार किया ।
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