गोलीकांड से जनता में आक्रोश: सीएम डॉ. मोहन यादव का अभियान नीमच में बेअसर


नीमच। प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के कार्यकाल का पहला गोलीकांड प्रदेश के अंतिम छोर पर बसे हुए नीमच जिले में हुआ। बदमाश दिन दहाडे समाजसेवी अशोक अरोरा पर गोली चलाते है और फरार हो जाते है। हालांकि जवाबी कार्रवाई में एक शार्प शूटर बाबू फकीर मारा गया। घटना के तीन दिन बीत जाने के बाद भी पुलिस के हाथ खाली है। नीमच  जिले में बदमाशों के हौसले बुलंद है, जब प्रसिद्ध समाजसेवी पर बदमाश बैखौफ होकर गोली चला रहे है तो आम आदमी का क्या होगा। इस घटना से हर वर्ग में आक्रोश है। पुलिस की नाकामी के चलते आक्रोश बढता ही जा रहा है, धीरे—धीरे यह मामला उग्र आंदोलन लेता हुआ नजर आ रहा है। नीमच जिले में सीएम डॉ. मोहन यादव के बदमाशों के खिलाफ अभियान का कोई असर नहीं दिखाई दे रहा है। पुलिस का मुखबिर तंत्र फैल हो चुका है। नीमच पुलिस प्रशासन द्वारा बदमाशों को चिन्हित करने के बाद भी उनकी अवैध संपत्ति पर बुलडोजर नहीं चलाया है। नीमच जिले में मादक माफिया सक्रिय है, उनकी लिस्ट भी तैयार नहीं हुई है। कुख्यात तस्कर बाबू सिंधी का लिंक सामने आने के बाद भी पुलिस का एक्शन नहीं नज़र आ रहा हैं। सीएम डॉ. मोहन यादव ने प्रदेश के सभी अफ़सरो को गुंडे, बदमाश, तस्करो का सफ़ाया करने के आदेश दे रखे हैं। सीएम डॉ. यादव के मुख्यमंत्री कार्यकाल में प्रदेश के नीमच में बीती चार फ़रवरी को दिनदहाड़े फ़ायरिंग हुई। समाजसेवी अशोक अरोरा गंगानगर पर बदमाशों ने सरेआम गोली चलाई, गोली श्री अरोरा को छूते हुए निकल गई। जवाबी फ़ायरिंग में इंदौर का शार्प शूटर बाबू फ़क़ीर मारा गया। सीएम डॉ. मोहन यादव के राज में बदमाशों के इतने हौसले कैसे बुलंद हो गए कि सरेआम गोली चला रहे है। नीमच पुलिस पर कई सवाल उठ रहे हैं। शांति के टापू प्रदेश को अशांत करने का प्रयास सीएम डॉ यादव तक पहुँच चुका है। बदमाशों पर यूपी की तर्ज़ पर कार्यवाही की माँग उठ रही हैं।

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